तर्ज :- तुम्हें दिल्लगी भुल जानी ..
तुम्हें प्रीत मेरी निभानी पड़ेगी, मुझे श्याम अपना बनाकर तो देखो.. बिछा दूंगा पलकें राहों में तेरी, कभी मेरी कुटिया में आकर तो देखो..
(1) यह दहलीज घर की तुम्हें ही पुकारे, आजा कन्हैया गरीबों के द्वारे । भला हूँ बुरा हूँ मैं जैसा हूँ तेरा, मेरी गलतियों को छुपाकर तो देखो ।।
(2) मैं नरसी नहीं हूँ नहीं हूँ सुदामा, मगर श्याम तुमको पड़ेगा निभाना । तुम्हारे चरण में पड़ा हैं मैं दात्ता, जरा अपनी नजरें झुका कर तो देखो ।
(3) ये किस बात की तुम सजा दे रहे हो, खाटू में बैठे मजा ले रहे हो । नहीं भूल पाओगे हमें श्याम सुंदर, नहीं जो यकीं तो भुला कर तो देखो
(4) मेरा जिस्मों जान अब अमानत है तेरी, मैं तेरा रहूँगा जमानत है मेरी, अगर जान मांगो तो अभी जान दे दूँ, कभी नरसी जी को आजमा कर तो देखो।
तुम्हें प्रीत मेरी निभानी पड़ेगी, मुझे श्याम अपना बनाकर तो देखो.. बिछा दूंगा पलकें राहों में तेरी, कभी मेरी कुटिया में आकर तो देखो..