क्यों घबराये मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है, मेरा माझी मेरा खिवैया, रहता मेरे पास है, क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है
रहता मेरे पास है, रहता मेरे पास है,
जब मैं सोऊँ तब ये सोए, जब जागूँ जग जाता है, मेरे सिरहाने बैठा बाबा, सर पे हाथ फिराता है, सर पे हाथ फिराता है, पे सर पे हाथ फिराता है, क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है।
मुझसे बोले बोलो बेटा, तुझको क्या दरकार है,
मैं बोलूं ना ना रे बाबा,तू मेरी सरकार है, तू मेरी सरकार है,तू मेरी सरकार है,
क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है ।
श्री कृष्ण वर व्यापी ये, कलयुग का अवतार है, पापी से भी पापी को भी, करताना इंकार है, करताना इंकार है, करता ना इंकार है, क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है।
जो भी इससे प्रेम करे ये, झट उसका हो जाता है, ना जाने फिर उसके खातिर, क्या से क्या कर जाता है, क्या से क्या कर जाता है, क्या से क्या कर जाता है, क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है।
तीन बाण के इस स्वामी की, जो घर ज्योत जगाता है, शीश का दानी खाटू वाला, चमत्कार दिखलाता है, चमत्कार दिखलाता है, चमत्कार दिखलाता है, क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है।
जिस नैया का श्याम खिवैया, डूबे ना मजधार है, संजू सांचे मन से ध्याले, भव से बेड़ा पार है, भव से बेड़ा पार है, भव से बेड़ा पार है, क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है।
क्यों घबराये मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है, मेरा माझी मेरा खिवैया, रहता मेरे पास है, क्यों घबराए मन मेरा जब, मुझको ये अहसास है
रहता मेरे पास है, रहता मेरे पास है,