तर्ज,गोरी है कलाइयां
ना कर चिंता चिंतन कर ले,
चिंता हरेगा तेरी संवारा।
अपने भगत की उसको चिंता है प्यारे,
सरे जगत की बिगड़ी वोही सवारे,
ना कर चिंता चिंतन कर ले,
चिंता हरेगा तेरी संवारा।
नरसी से चिंतन किया चिंता मिटाई,
भात भरानी का प्रीत निभाई,
ना कर चिंता चिंतन कर ले,
चिंता हरे गा तेरी संवारा।
मीरा के चिंतन में था प्यारा मुरली वाला,
अमृत बनया पल में विष का वो प्याला,
ना कर चिंता चिंतन कर ले,
चिंता हरे गा तेरी संवारा।
जब जब सताए चिंता श्याम गुण गए जा,
चिंतन प्रभु का रोमी चिंता मिटाए जा,
ना कर चिंता चिंतन कर ले,
चिंता हरे गा तेरी संवारा।
ना कर चिंता चिंतन कर ले,
चिंता हरेगा तेरी संवारा।