श्री राणी सती दादी मंगल मनका १०८
जय अम्बे जय दुर्गे मात , जय नारायणी जय तनधन दास
जय दादी जय शक्ति नाम , पतित पावन दादी नाम।
दीन हीन का दुख हरने को ! जन गण मंगल करने को !!
शक्ति प्रकटी झुन्झुन धाम , पतित पावन दादी नाम।
यह शक्ति है माँ जगदम्बा ! यही भवानी दुर्गे अम्बा
नारायणी है इसका नाम ! पतित पावन दादी नाम ।
पीढी दर पीढी का रिश्ता , तब ही दादी नाम है इसका ।
कुलदेवी को करो प्रणाम ! पतित पावन दादी नाम ।
है अमोध दादी की शक्ति ,सदियों से करते सब भक्ति
पूजते है त्रिशूल निशान ! पतित पावन दादी नाम ।
माँ शक्ति का अलख जगाऊँ , दादी माँ की बात बताऊँ ।
है स्वयं शक्ति दुर्गा महान ! पतित पावन दादी नाम ।
जानत है सबही नर नारी , युद्घ हुआ महाभारत भारी ।
था वोः धर्म कर्म संग्राम , पतित पावन दादी नाम ।
कौरव, पाण्डव हुई लडाई , लीला प्रभु ने अजब दिखाई ।
बने सारथी स्वयं भगवान ! पतित पावन दादी नाम ।
गीता में उपदेश दिया है , जग को यह संदेश दिया है
कर्म करो, तज फल का ध्यान ! पतित पावन दादी नाम ।
जब जब धरती पे धर्म लुटेगा , और पाप का कर्म बढेगा ।
अवतारेंगे श्री भगवान ! पतित पावन दादी नाम ।
गुण गावे सब वेद पुराण ! पतित पावन दादी नाम ।
यहाँ मंगल मनका पुष्पोहार , करदे तुझको भाव से पार ,
कर अर्पण दादी के नाम , पतित पावन दादी नाम ।
पाठ करें जो मंगल मनका , कष्ट हरे माँ उसके तनका।
पुरें हो उसके अरमान ! पतित पावन दादी नाम ।
श्री कृष्ण ने लीला गई , दयाकर सुनले मेरी माई।
भूलूँ नहीं मै तेरा नाम ! पतित पावन दादी नाम ।
मंगल माला पूरी हुई , मनका एक सौ आठ
मनोकामना पूर्ण हो , नित्य करे जो पाठ
मंगल भवन अमंगल हारी , दादीजी थारो नाम बड़ो सुखारी
प्रेम से बोलो जय दादी की