आज दिन ऐसा आयो,
नाचे दुनिया सारी
मोरवी का लाल पधारो,
सब जाएँ बलिहारी
कार्तिक मास शुक्ल एकादशी,
तिथि बड़ी प्यारी
खाटू का राजा सज कर बैठा,
शोभा जिसकी न्यारी।
ओ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरे दर पर नाचू रे,
तुझको ही सजदा करूँ,
तेरे दर के चक्कर काटू रे,
ओ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरे दर पर नाचू रै।
तेरी लखदातारी को,
बाबा मैं पहचानूँ,
हारे का सहारा है तुझे,
अपना यार मैं मानूँ,
दुनिया से मुझे क्या लेना,
मैं तेरा नाम ही राटू रे,
ओ खाटू वाले श्याम मैं,
तेरे दर पर नाचू रे,
तुझको ही सजदा करूँ,
तेरे दर के चक्कर काटू रे,
ओ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरे दर पर नाचू रै।
सुना है मैंने खाटू वाले,
बिगड़ी बात बनाये तू,
ठुकरा दे जिसको जग सारा,
उसको गले लगाए तू,
तेरा तुझको भोग लगाऊं,
उसको सब मैं बाटूँ रे,
ओ खाटू वाले श्याम मैं,
तेरे दर पर नाचूं रै,
तुझको ही सजदा करूँ,
तेरे दर के चक्कर काटू रे,
ओ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरे दर पर नाचू रै।
तेरे दर की गलियों का,
सुन्दर है नज़ारा,
रजत जैसे लाखों आते,
झुकता है जग सारा,
अपर्णा तेरा नाम जपे मैं,
नाचन से ना हाटूँ रे
ओ खाटू वाले श्याम मैं,
तेरे दर पर नाचूं रै,
तुझको ही सजदा करूँ,
तेरे दर के चक्कर काटू रे,
ओ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरे दर पर नाचू रै।
आज दिन ऐसा आयो,
नाचे दुनिया सारी
मोरवी का लाल पधारो,
सब जाएँ बलिहारी
कार्तिक मास शुक्ल एकादशी,
तिथि बड़ी प्यारी
खाटू का राजा सज कर बैठा,
शोभा जिसकी न्यारी।