तर्ज,कुछ दे या ना दे श्याम
इन दो आंखो से,
श्याम तुझको कितना देखूँ,
इन दो आंखो से,
श्याम तुझको कितना देखूँ,
मन भरता नहीं मेरे श्याम,
तुझे जितना देखूँ,
मन भरता नहीं मेरे श्याम,
तुझे जितना देखूँ।
देखू तो बस देखे जाऊं,
पलक ना फिर झपकाऊँ,
ना जाने क्या जादू है ये,
कुछ भी समझ ना पाऊँ,
जी करता तेरी छवि के,
अलावा,कुछ ना देखू,
जी करता तेरी छवि के,
अलावा,कुछ ना देखू,
मन भरता नहीं मेरे श्याम,
तुझे जितना देखूँ।
क्या चंदा क्या फूल ये उपवन,
फीके सभी नज़ारे,
तेरे रूप की चमक के आगे,
लाजे जग मग तारे,
कोई नहीं नजारा तुझसा तो फिर,
क्यूं ना देखू,
कोई नहीं नजारा तुझसा तो फिर,
क्यूं ना देखू,
मन भरता नहीं मेरे श्याम,
तुझे जितना देखूँ।
देख देख के तुझको हरदम,
तेरे रंग में रंगाया,
जब भी मुसीबतों ने घेरा,
तुझको हाजिर पाया,
अरविंद कहे तू हो जाए मेरा,
इतना देखू,
अरविंद कहे तू हो जाए मेरा,
इतना देखू,
मन भरता नहीं मेरे श्याम,
तुझे जितना देखूँ।
इन दो आंखो से,
श्याम तुझको कितना देखूँ,
इन दो आंखो से,
श्याम तुझको कितना देखूँ,
मन भरता नहीं मेरे श्याम,
तुझे जितना देखूँ,
मन भरता नहीं मेरे श्याम,
तुझे जितना देखूँ।