थारी चुनड दादी जी लेहर लेहर लहराई रही,
भादी मावस जद बी आवे मन म्हारा हर्शावे
थारी चुनड की छाया माँ सभी सुहागन चावे
सब मिल कर दादी जी थारिया चुनडी ओढाई रही।
थारी चुनड दादी जी लेहर लेहर लहराई रही,
सभी सुहागन भागन मैया थाने खूब सजाए।
कर सोला शिंगार थारे हाथा मेहँदी रचावे,
सब मिल कर ज्योत लवे दादी जी मंगल गाये रही
थारी चुनड दादी जी लेहर लेहर लहराई रही,
थारी आंचल की छाया माँ माहरे सिर पर वारो
कहे गोपाल के टाबरियां पर प्यार लुटा दो थारो
थारी किरपा दादी जी या म्हाने तो नचाये रही
थारी चुनड दादी जी लेहर लेहर लहराई रही,