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रानीसती दादी भजन लीरिक्स

Thari chunad chamakdar lekar aayo thare dwar dadi odh ke baitho ji,थारी चुनड़ चम्मकदार लेकर आयो थारे द्वार दादी ओढ़ के बैठो जी,dadi bhajan

थारी चुनड़ चम्मकदार लेकर आयो थारे द्वार, दादी ओढ़ के बैठो जी,

(तर्ज : म्हारा लीले रा असवार…)



थारी चुनड़ चम्मकदार लेकर आयो थारे द्वार, दादी ओढ़ के बैठो जी, भवानी थे तो, ओढ़ के बैठो जी ।।



लाल सुरंगी चूनड़ी माँ टाबरियो है ल्यायो, आज भवानी ओढल्यो थे मेरो मान बढ़ाओ, थाँसू घणी करूँ मनवार, करदयो किरपा लखदातार, दादी,ओढ़ के बैठो जी, भवानी थे तो, ओढ़ के बैठो जी ।। १ ।। थारी चुनड़ चम्मकदार लेकर आयो थारे द्वार, दादी ओढ़ के बैठो जी, भवानी थे तो, ओढ़ के बैठो जी ।।

झिलमिल झिल मिल चून्दड़ी ने मैया थे स्वीकारो,पलक उघाड़ो मावड़ी थे मेरी ओर निहारो, दीन्ही थाँसू अरज गुजार, निरखो चूनड़ ने इकबार, दादी, ओढ के बैठो जी, भवानी थे तो, ओढ़ के बैठो जी ।। २ ।। थारी चुनड़ चम्मकदार लेकर आयो थारे द्वार, दादी ओढ़ के बैठो जी, भवानी थे तो, ओढ़ के बैठो जी ।।

‘हर्ष’ पुकारे मावड़ी थे बेगा बेगा आओ,
टाबरिये सूँ प्रीत निभाके मेरी आस पुराओ, थारो साँचों है दरबार, मेरी अरजी बारम्बार, दादी, ओढ के बैठो जी, भवानी थे तो, ओढ़ के बैठो जी ।। ३ ।।थारी चुनड़ चम्मकदार लेकर आयो थारे द्वार, दादी ओढ़ के बैठो जी, भवानी थे तो, ओढ़ के बैठो जी ।।

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