(तर्ज : पलकें ही पलकें …)
मैया को अपने घर बुलायेंगे,
सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।।
सोने की झारी में गंगाजल मंगवाया, मैया के स्वागत में चंदन चौक पुराया, हाथों से चरणों को धुलायेंगे ।। १ ।।सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।। मैया को अपने घर बुलायेंगे,
सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।।
मैया की प्यारी सी चुनरी है बनवाई, चाँदी के प्याले में मेंहन्दी है घुलवाई, माँ के हाथों मेंहदी रचायेंगे ।। २ ।।सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।। मैया को अपने घर बुलायेंगे,
सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।।
मैया की नथली में हीरा है जड़वाया, माथे की बिन्दी को सोने में घड़वाया, चान्दी की पायलिया पहनायेंगे ।। ३ ।।सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।। मैया को अपने घर बुलायेंगे,
सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।।
फूलों के प्यारे से गजरे है मंगवाये, ‘हर्ष’ कहे थाली में रोली मोली लाये, हाथों से माँ को हम सजायेंगे ।। ४सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।। मैया को अपने घर बुलायेंगे,
सारे मिलकर माँ का लाड लडायेंगे ।।