(तर्ज : बाबुल का ये घर…
तीज्यों के सिन्धारे में, दादी ने बुलावांगा, मैयाजी का रल मिल के, म्हे लाड लडावांगा ।। टेर ।।
पहल्यां तो चन्दन सूं, म्हे चौक पुरास्यां जी, आंगण में केशरिया, अन्तर छिड़कास्याँ जी, चान्दी री चौकी पर, दादी ने बिठावांगा ।। १ ।।
पाछे म्हे फूलां रा, सोणा हार बणास्यां जी, चान्दी री प्याली में, म्हे मेहन्दी घुलास्यां जी, तारा जड़ी चुन्दड़ली, दादी ने उढ़ावांगा ।। २ ।।
बुन्दिया व भुजिया रा, म्हे थाल सजास्याँ जी, खीर और पूड़ा रो, माँ के भोग लगास्याँ जी, जीमेला जद दादी, म्हे पंखो डुलावांगा ।। ३ ।।
बरसां पुराणी माँ, आके रीत निभाओ जी, अरजी यो “हर्ष” करे, म्हारो मान बढ़ाओ जी, मैया रे स्वागत में, म्हे पलक्यां बिछावांगा ।। ४ ।।
तीज्यों के सिन्धारे में, दादी ने बुलावांगा, मैयाजी का रल मिल के, म्हे लाड लडावांगा ।।