(तर्ज : मीठे रस सू भरयोड़ी…)
थाने चूनड़ी माँ टाबरिया उढ़ाणे आया-२, म्हे तो दादी थारा लाड लडाणे आया ।।
सावन का सिन्धारा दादी म्हासुँ आज कराले, घणे चाव सूँ टाबर आया चरणा माही बिठाले, थाने नैणा माही आज बसाणे आया ।। १ ।।थाने चूनड़ी माँ टाबरिया उढ़ाणे आया-२, म्हे तो दादी थारा लाड लडाणे आया ।।
घणी राचणी मेहन्दी दादी म्हासुं आज मण्डाले, रोली मोली गजरो ल्याया चुड़लो हाथ घलाले, थारो सोणो सो सिणगार सजाणे आया ।। २ ।।थाने चूनड़ी माँ टाबरिया उढ़ाणे आया-२, म्हे तो दादी थारा लाड लडाणे आया ।।
छत्तिसों मेवा दादी भोग लगाले, छप्पन भोग छत्तिसों दादी टाबरियाँ से “हर्ष” मावड़ी थोड़ी प्रीत निभाले, थारे चरणां माही शीश झुकाणे आया।थाने चूनड़ी माँ टाबरिया उढ़ाणे आया-२, म्हे तो दादी थारा लाड लडाणे आया ।।