(तर्ज : लुट रहा लुट रहा…)
रच गई रच गई रच गई रे, राचणी माँ मेहन्दी रच गई रे ।। टेर ।।
जादूगरी, ये मतवारी, प्यारी प्यारी लागे है, लाल सुरंगी, रची हथेली, ज्यूँ फुलवारी लागे है, दादी जी के हाथों को, लाल रंग में रंग गई रे ।। रच गई रच गई रच गई रे, राचणी माँ मेहन्दी रच गई रे ।।
हे बड़भागन, प्यारी मेहन्दी, दादी के मन तू भाई, बड़े प्रेम से, माँ ने तुमको, अपने हाथों लगवाई, सोणी सोणी रचके तू दादी के मन बस गई रे ।।रच गई रच गई रच गई रे, राचणी माँ मेहन्दी रच गई रे ।।
“हर्ष” कहे ओ, मेहन्दी मेरी, दादी से इतना कहना, मेहन्दी वाले, हाथ हमारे, सिरपे माँ यूँही रखना, भगतों की अरजी सुनके, दादीजी किरपा कर गई रे ।। रच गई रच गई रच गई रे, राचणी माँ मेहन्दी रच गई रे ।।