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रानीसती दादी भजन लीरिक्स

Mamta ki shital chaya me jab bhi mujhe sulao ma,ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ,dadi bhajan

ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ,

(तर्ज : अपने आंचल की छैया…)

ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ, तुम लोरी की जगह दादी के मीठे भजन सुनाओ माँ,



रोज सबेरे जै दादी की बोल के मुझे जगाओ माँ, तुम लोरी की जगह दादी के मीठे भजन सुनाओं माँ।ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ, तुम लोरी की जगह दादी के मीठे भजन सुनाओ माँ,



समर भूमि में माँ ने कैसे दुष्टों को ललकारा था, चण्डी रूप बनाकर उनको मौत के घाट उतारा था, कैसे दादी सति हुई थी ये बातें समझाओं माँ ।। ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ, तुम लोरी की जगह दादी के मीठे भजन सुनाओ माँ,



एक बार मुझको भी ले चल मेरी आस पुरादे तू, भादो की मावस में मुझको माँ का भवन दिखादे तू, दादी की चौखट पे मष्तक मेरा भी टिकवाओ माँ ।। ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ, तुम लोरी की जगह दादी के मीठे भजन सुनाओ माँ,



जहाँ पे माँ का उत्सव होवे मुझको भी तू ले जाना, मंगल पाठ में दादी जी के मुझको भी माँ बिठलाना, भजनों की गंगा में गोता, मुझको भी लगवाओ माँ ।। ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ, तुम लोरी की जगह दादी के मीठे भजन सुनाओ माँ,



वादा करले मावस के दिन घर में ज्योत जगाओगी, ” हर्ष” कहे तुम खीर और पूड़ा माँ के भोग लगाओगी, दादी का प्रसाद बड़े ही प्यार से मुझे खिलाओ माँ ।।ममता की शीतल छाया में जब भी मुझे सुलाओं माँ, तुम लोरी की जगह दादी के मीठे भजन सुनाओ माँ,

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