बरसे अखियान्न से बदरवा आ जाओ साजनवा।
हे गोविन्द हे गोविन्द।हे गोविन्द हे गोविन्द।हे गोविन्द हे गोविन्द।हे गोविन्द हे गोविन्द।
हे गोपाल,हे गोपाल,हे गोपाल,हे गोपाल,हे गोपाल,हे गोपाल,हे गोपाल,हे गोपाल,हे गोपाल,
प्यारे आओ तो मुखरित हो जाएं, प्रीति नगर का कोना। हो प्यारे प्रीति नगर का कोना। और क्षण क्षण नाच उठे जीवन का ,पाकर रूप का टोना।प्यारे रोने में हंसना मिल जाए और हंसने में रोना। नस नस गा उठे उमंग में प्रियतम श्याम सलोना। दिखा दो रूप की सजनवा आ जाओ साजनवा।
छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम।दिखा दो रूप की सजनवा आ जाओ साजनवा।दिखा दो रूप की सजनवा आ जाओ साजनवा।
सोया प्यार बहुत जन्मों का प्यारे इसे जगाने आओ।मधुर बांसुरी की तानों से रस बरसाने आओ। भूल हुई जो जानबूझकर उसे भुलाने आओ। जीवन पथ के अंधियारे को दूर भगाने आओ। तरसे दर्शन को है मनवा आ जाओ सजनवा।
गोविन्द हे गोविन्द।हे गोविन्द हे गोविन्द।हे गोविन्द हे गोविन्द।हे गोविन्द हे गोविन्द।तरसे दर्शन को है मनवा आ जाओ सजनवा।
नीले नीले अंबर पर घनघोर घटा छा जाती है। जब दिन सावन के होते हैं और वायु बन बरसाती है। जब काली काली बदली भी नैनो से नीर बहाती है। उस वक्त मेरे मनहर मुझ पर मदहोशी सी छा जाती है। एक दर्द सा एक टीस सी,एक हूक सी दिल में उठती है। और याद तुम्हारी आती है प्यारे और याद तुम्हारी आती है।तरसे दर्शन को है मनवा आ जाओ सजनवा।
छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम छम।तरसे दर्शन को है मनवा आ जाओ सजनवा।
घनघोर घटा जब उठती है।जब बिजली कोंधे लेती है।यमुना बिखरे आंचल जब लहरों से भर लेती है। जब दादुर मोर बोलते हैं और पुरवाई इठलाती है। पिपहा पपिहा बोलता है और कोयल कूक सुनाती है।उस वक्त मेरे मनहर मुझ पर मदहोशी सी छा जाती है।एक दर्द सा एक टीस सी,एक हूक सी दिल में उठती है। और याद तुम्हारी आती है प्यारे और याद तुम्हारी आती है।
दिखा दो रूप की सजनवा आ जाओ साजनवा।तरसे दर्शन को है मनवा आ जाओ सजनवा।बरसे अखियान्न से बदरवा आ जाओ साजनवा।