तर्ज- गर जोर मेरो चाले हीरा मोतयां से नजर
कुण मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी, सूरज की लाली ज्यूँ चमके, सूरज की लाली ज्यूँ चमके, मेहंदी माँ मन मोहणी, कुन मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी।
चांदी चौकी बैठ्या मायड़, गुलबनड़ी सा लागो, लाल सुरंगी रची हथेल्या, लाल सुरंगी रची हथेल्या, मनड़ो मोवे मावड़ी, कुन मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी।
ऐसो रंग चढ्यो हाथां में, चंदो भी शरमावे, निजर हटे ना हाथां सु माँ, निजर हटे ना हाथां सु माँ, मेहंदी राची राचणी, कुन मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी।
घणे चाव सु सर्व सुहागन, थारा हाथ रचाए, हाथा माहि बेल और पत्ते, हाथा माहि बेल और पत्ते, लागे है मन भावणी, कुन मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी।
तू बड़भागन ‘स्वाति’ तेरे, घर में दादी आई, ‘हर्ष’ कवे तक़दीर जगा द्यो, ‘हर्ष’ कवे तक़दीर जगा द्यो, मेरी भी नारायणी, कुन मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी।
कुण मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी, सूरज की लाली ज्यूँ चमके, सूरज की लाली ज्यूँ चमके, मेहंदी माँ मन मोहणी, कुन मांडी दादी, हाथा में मेहंदी थारे सोवणी।