तर्ज – उड़े जब जब जुल्फें तेरी
खाटू धाम है जग में निराला, श्याम मेरा रहता है, श्याम मेरा रहता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम, है शीश का दानी मेरा श्याम।
ऊँचे आसन श्याम विराजे, ऊँचे आसन श्याम विराजे, राज ये करता है, राज ये करता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम, है शीश का दानी मेरा श्याम।
खुश हो के खजाना लुटाते, खुश हो के खजाना लुटाते, हुकुम इनका चलता है हुकुम इनका चलता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम,है शीश का दानी मेरा श्याम।
होती सबकी मुरादें पूरी, होती सबकी मुरादें पूरी, जो विनती करता है, जो विनती करता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम, शीश का दानी मेरा श्याम।
फागण में खाटू चालो, फागण में खाटू चालो, की मेला लगता है, की मेला लगता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम, है शीश का दानी मेरा श्याम।
चलो ग्यारस की रात जगाए, चलो ग्यारस की रात जगाए, की अमृत बरसता है, की अमृत बरसता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम, शीश का दानी मेरा श्याम।
की अमृत बरसता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम, है शीश का दानी मेरा श्याम।
‘संजय’ ये गले से लगाते, ‘संजय’ ये गले से लगाते, जो हार के आता है, जो हार के आता है खाटू में,हारे का साथी बाबा श्याम, है शीश का दानी मेरा श्याम।
खाटू धाम है जग में निराला, श्याम मेरा रहता है, श्याम मेरा रहता है खाटू में, हारे का साथी बाबा श्याम, है शीश का दानी मेरा श्याम।