तर्ज- तेरे होंठों के दो फूल प्यारे प्यारे
हम तो श्याम जी के, श्याम जी हमारे, अपने श्याम जी ही, जीने के सहारे,दुनिया का सहारा, क्या लेना, क्या लेना, हम तो श्याम जी के, श्याम जी हमारे।
हमने तो श्याम भरोसे, जिंदगी सारी अपनी गुजारी, हमको चिंता क्या अपनी, सब लेते खबर वो हमारी, बसे मन में ही श्याम, हमें श्याम से ही काम, औरो से हमारा, क्या लेना, क्या लेना, हम त श्याम जी के, श्याम जी हमारे।
कहते है बात पते की, श्याम जी से लगन वो लगाना, मन से मंदिर की दुरी, कोई पूछे तो दम भर बताना, कभी होना ना उदास, वो है तेरे आस पास, अब डर से तुम्हारा, क्या लेना, क्या लेना, हम तो श्याम जी के, श्याम जी हमारे।
अब हारे तो सब हारे, कुछ भरोसा नहीं जिंदगी का, रे बन्दे मत घबरा रे, क्यों न करता भजन तू हरि का, अब भी करले कर ना देर, वरना होनी है अंधेर, डूबे तो किनारा, क्या लेना, क्या लेना, हम त श्याम जी के, श्याम जी हमारे।
मन होजा श्याम दीवाना, चाहे कुछ भी कहे ये जमाना, ‘राजू’ कहे भक्ति नगर में, कोई धीरज ना मन का हराना, परचा देंगे हाथों हाथ, देंगे जीवन भर का साथ, तोडा सा गुजारा, क्या लेना, क्या लेना, हम तो श्याम जी के,श्याम जी हमारे।
हम तो श्याम जी के, श्याम जी हमारे, अपने श्याम जी ही, जीने के सहारे,दुनिया का सहारा, क्या लेना, क्या लेना, हम तो श्याम जी के, श्याम जी हमारे।