तर्ज- मेरे बांके बिहारी सांवरिया।
तीनों लोको में भोले के जैसा, दूसरा कोई दानी नहीं है, कौन सा भक्त है बात उसकी, मेरे भोले ने मानी नहीं है, तीनों लोको में भोले के जैसा, दूसरा कोई दानी नहीं है ।।
बात सच्ची है करना ना शंका, दे दी रावण को सोने की लंका, वेद ग्रंथो में लिखा हुआ है, कोई झूठी कहानी नहीं है, तीनों लोको में भोले के जैसा, दूसरा कोई दानी नहीं है ।।
फेरी देवों ने जब शिव की माला, देके अमृत पिया विष का प्याला, किसको भोले ने क्या क्या दिया है, बात कोई छुपानी नहीं है, तीनों लोको में भोले के जैसा, दूसरा कोई दानी नहीं है ।।
पाप धोने थे सारे जहां के, शिव ने गंगा हमें दे दी लाके, शिव की करुणा भी इस में मिली है, गंगा अमृत है पानी नहीं है, तीनों लोको में भोले के जैसा, दूसरा कोई दानी नहीं है ।।
तीनों लोको में भोले के जैसा, दूसरा कोई दानी नहीं है, कौन सा भक्त है बात उसकी, मेरे भोले ने मानी नहीं है, तीनों लोको में भोले के जैसा, दूसरा कोई दानी नहीं है ।।