तर्ज – उस बांसुरी वाले की लीले घोड़े वाले की
ये देख तमाशा जग का, भीतर से दुःख पाऊं, मेरा दिल करता है, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ, मेरा दिल करता हैं, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ।
तुझे अपने पास बिठा के, रख लूँ मैं तुम्हे छुपा के, मतलब से भरी निगाहें, ना देखे नज़र उठा के, बस तू हो बाबा, मैं हूँ, मैं भजन तेरे गाऊं, मेरा दिल करता हैं, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ।
ना देख नज़र उठा क, बस तू हो बाबा, मैं हूँ, मैं भजन तेरे गाऊं, मेरा दिल करता हैं, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ।
जो चमत्कार को तेरे, ये नमस्कार करते है, व्यापार करे वो बाबा, ना तुमसे प्यार करते है, मैं सेवा करूँगा, तेरी, तुझसे ना कुछ चाहूँ, मेरा दिल करता हैं, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ।
तू देना छोड़ दे बाबा, ना भेज तू खर्चा घर का, आते है लौट के कितने, फिर देख नज़ारा दर का, हो जाए ‘सचिन’, का बाबा, कुछ ऐसा कर जाऊं, मेरा दिल करता हैं, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ।
ये देख तमाशा जग का, भीतर से दुःख पाऊं, मेरा दिल करता है, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ, मेरा दिल करता हैं, श्याम को मैं घर पे ले लाऊँ।