तर्ज,रखवाला प्रतिपाला
मैं हारा मैं हारा, मुझे दे दो नाथ सहारा, हार गया हूँ भटक भटक कर, कोई नहीं हमारा हमारा, मैं हारा मैं हारा, मुझें दे दो नाथ सहारा।
मांग नहीं है तुमसे कुछ भी, बस चरणों में बिठा लो, रोते रोते आया हूँ दर पे, मुझको जरा हंसा दो, अगर पोंछना है मेरे आंसू, कुछ ना घटेगा तुम्हारा तुम्हारा, मैं हारा मैं हारा, मुझें दे दो नाथ सहारा ।
अब तो मेरा हाथ पकड़ लो, बात मेरी मत टालो, हाथ से बात निकल ना जाए, जल्दी श्याम सम्भालो, बाद में मुझको दोष ना देना, हंसेगा जब जग सारा ओ सारा, मैं हारा मैं हारा, मुझें दे दो नाथ सहारा।
दीन हीन के हाल पे ‘माधव’, गर तू मौन रहेगा, सोच जरा हारे का सहारा, तुझको कौन कहेगा, कौन लगाएगा वर्ना इस, नाम से फिर जयकारा जयकारा, मैं हारा मैं हारा, मुझें दे दो नाथ सहारा।
माना मैं हूँ पतित अधर्मी, लाखों पाप किए है, लेकिन तूने जाने कितने, पापी माफ़ किए है, फिर क्यों मेरी बारी दाता, तूने पल्ला झाड़ा ओ झाड़ा, मैं हारा मैं हारा, मुझें दे दो नाथ सहारा।
मैं हारा मैं हारा, मुझे दे दो नाथ सहारा, हार गया हूँ भटक भटक कर, कोई नहीं हमारा हमारा, मैं हारा मैं हारा, मुझें दे दो नाथ सहारा।