मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले, दया द्रष्टि करते सब पर, मेहंदीपुर वाले है, मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले।
रूप रंग है लाल लाल है, कही तू काला काला, मेहंदीपुर में सजके बैठा, माँ अंजनी का लाला, राम नाम की जपते रहते, हरदम कंठी माला, दर्शन मात्र से खुल जाता है, बंद किस्मत का ताला, लाखो की संख्या में, आने जाने वाले है, मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले।
बल की कोई नहीं है सीमा, ऐसे है बलधारी,
भुत प्रेत सब थर थर कांपे, देख गदा बस भारी, जिनकी चोखट पे आते, जाते है सब नर नारी, संकट मोचन संकट हरते, जाने दुनिया सारी, सोने की लंका को स्वयं, जलाने वाले है, मेरें बालाजी सरकार, के तो रंग निराले।
बालाजी संग प्रेतराज, भैरव का दर्शन पाएं, लड्डू चावल उड़द से, तीनो देव को भोग लगाएं, श्रध्दा सुमन चढ़ा के, अपना मन वांछित फल पाएं, जिसके चरणों में धर ‘धीरज’, अपना शीश झुकाएं। अंजलि के स्वर में, सब के सब गाने वाले है।मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले।
मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले, दया द्रष्टि करते सब पर, मेहंदीपुर वाले है, मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले।