तर्ज- ये बंधन तो प्यार का बंधन
जय जय गणराज मनाऊँ, चरणों में शीश नवाऊं, जब तक सांसे हैं तन में, तेरा ही ध्यान लगाऊं, गजानन्द जी हमारे घर आओ, बुलाते है चले आओ।।
बड़े भाग हमारे बाबा, जो शुभ दिन ये आया है, बैठे है तुम्हारे दर पर, प्रभु तेरी ही माया है, हमने प्रभु आस लगाई, चंदन चौकी बिछवाई, रूखे सूखे फल मेवा, निज मन की ज्योत जलाई, गजानन्द जी हमारे घर आओ, बुलाते है चले आओ।।
देवो के महाराजा, तुम जल्दी से आ जाना, रिद्धि सिद्धि संग बाबा, शिव गौरा को ले आना, ब्रह्मा विष्णु को लाना, संग रामसिया को लाना, राधे कृष्णा गोकुल से, हनुमान को भी बुलवाना, गजानन्द जी हमारे घर आओ, बुलाते है चले आओ।।
शुभ अवसर आंगन में, सब विघ्न हरो हे देवा, आकर मंगल कर दो, हम करते तेरी सेवा, जो भी आशा है मन में, आकर पूरी अब कर दो, खोया है ‘मुकेश’ भजन में, उसकी पीड़ा सब हर दो, गजानन्द जी हमारे घर आओ, बुलाते है चले आओ ।।
जय जय गणराज मनाऊँ, चरणों में शीश नवाऊं, जब तक सांसे हैं तन में, तेरा ही ध्यान लगाऊं, गजानन्द जी हमारे घर आओ, बुलाते है चले आओ ।।