तर्ज- मेहंदी राचण लागी
सज-धज करके बैठी है माँ आज झुंझुनूं धाम में, आयो रानी सती को मेलों चाला माँ के द्वार पे।
हीरा की नथली माँ टीको घड़ावा गोटा जड़ी। चुनड़ी माँ थाने उढ़ावा मेहंदी राचेगी मैया के गोरे हाथ में ।आयो रानी सती को मेलों चाला माँ के द्वार पे।
हार भी लावा माँ चूड़ो भी लावा अखण्ड सुहागन को आशीष पावा पायल-बिछिया सोहे मैया के पाँव में आयो रानी सती को मेलों चाला माँ के द्वार पे।
भजन सुनावा माँ थाने रिझावा भादीमावस ने म्हें नंगे पैर आवा दोनों हाथ उठा के नाचा माँ के दरबार में आयो रानी सती को मेलों चाला माँ के द्वार पे।
चौक पुरावा माँ, चँवर ढुलावा आँख्या के आँसू से पैर धुलावा अरचू पलका बिछा देस्या माँ के प्यार में आयो रानी सती को मेलों चाला माँ के द्वार पे।
सज-धज करके बैठी है माँ आज झुंझुनूं धाम में, आयो रानी सती को मेलों चाला माँ के द्वार पे