मेरी नाव पड़ी मझधार, बड़ी दूर किनारा, तेरे बिन लखदातार, बता कौन हमारा, मेरी नाव पडी मझधार, बड़ी दूर किनारा।
डगमगाए कश्ती गम के. तूफ़ान छाए है, जिनका भरोसा था वो, हो गए पराए है, कोई सुनता नहीं पुकार, कई बार पुकारा, मेरी नाव पडी मझधार, बड़ी दूर किनारा।
थाम पतवार श्याम, देर क्यों लगाई है, तारा है जमाना बारी, आज मेरी आई है, तुझे कहता है संसार, हारे का सहारा,मेरी नाव पडी मझधार, बड़ी दूर किनारा।
पल पल निराश किया, जग की उदासीने, द्वार पे पसारा दामन, ‘किशन ब्रजवासी’ ने, पल में करता भवपार, ये नाम तुम्हारा, मेरी नाव पडी मझधार, बड़ी दूर किनारा।
मेरी नाव पड़ी मझधार, बड़ी दूर किनारा, तेरे बिन लखदातार, बता कौन हमारा, मेरी नाव पडी मझधार, बड़ी दूर किनारा।