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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Bhole ke hatho me hai bhakto ki dor,भोले के हाथों में है भक्तो की डोर,shiv bhajan

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर,



तर्ज – सावन का महीना

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर, किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर, भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर।



मर्जी है इसकी हमको, जैसे नचाए, जितनी जरुरत उतना, जोर लगाए, ये चाहे जितनी खींचे, हम काहे मचाए शोर, किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर, भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर।

भोले तुम्हारे जब से, हम हो गए है, गम जिंदगानी के, कम हो गए है, बंधकर तेरी डोरी से, हम नाचे जैसे मोर, किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर, भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर।

खिंच खिंच डोरी जो, संभाला ना होता, हमको मुसीबत से, निकाला ना होता, ये चाहे जितना खींचे, हम खींचते इसकी ओर, किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर, भोले के हाथो में, भक्तो की डोर।



‘बनवारी’ टूटे कैसे, भक्तो से नाता,
डोर से बंधा है तेरे, प्रेमी का धागा, तू रख इसपे भरोसा, ये डोर नहीं कमजोर, किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर, भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर।

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर, किसी को खींचे धीरे, और किसी को खींचे जोर, भोले के हाथो में, है भक्तो की डोर।

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