शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार। गोकुल सगलो झूम उठयो है, अरे बाजत बीन नगाड़।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।
माता यशोदा के लाला भये है,तीन लोक से न्यारे। गोपी ने भीड़ जुड़ी नंद जी के देत बधाई बार-बार।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।
नाचत गावत गोप ग्वाल जूट ऋषि मुनि आए सारे।नंद के आंगन कीच मची है और छूटत शील फुहारे।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।
नंद आनंद सो डोलत इत उत्त,भूषण वसन सम्हारे।मांगत सूत् बंदी जन ब्राह्मण लेत दान सब हारे।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।
धन्य यशोदा कोख जा प्रगटे,वन उपजावन हारे।रामदास स्वामी करुणाकर,ये तो भक्तन के रखवारे।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।शोर घनीरो री यशोदा नंद के द्वार।