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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Kitna vish pi dala bhole bhale sarkar,कितना विष पी डाला,भोले भाले सरकारशीश पे गंगा फिर भीतू मांगे जल की धार,shiv bhajan

कितना विष पी डाला,
भोले भाले सरकार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।।



तर्ज सावन का महिना

कितना विष पी डाला,
भोले भाले सरकार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।।




भूल गया क्या तेरा,
रुतबा है न्यारा,
देवों में सबसे ऊपर,
नाम तुम्हारा,
मांग तेरे भक्तो से,
कोई अच्छा सा उपहार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।
कितना विष पि डाला,
भोले भाले सरकार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।।

मीलो तू बाबा हमको,
पैदल चलाए,
छोटी सी लुटिया में,
जल भरवाए,
पाँव में कंकड़ कांटे,
चुभ जाते कई हजार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।
कितना विष पि डाला,
भोले भाले सरकार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।।




सावन है तेरा बरसे,
दिन रात पानी,
फिर क्या कमी है तुमको,
जल की ओ दानी,
हमको भी ऐ बाबा,
बतलाओ ना एक बार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।
कितना विष पि डाला,
भोले भाले सरकार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।।




सोनू कहे की गंगा,
जल के बहाने,
पास बुलाता अपने,
प्यार लुटाने,
पतितो को कर देती,
पावन गंगा की धार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।
कितना विष पि डाला,
भोले भाले सरकार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।।

कितना विष पी डाला,
भोले भाले सरकार,
शीश पे गंगा फिर भी,
तू मांगे जल की धार।।

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