तर्ज- सूरज कब दूर गगन से
नन्दलाला तुझे पुकारे,ये गोकुल और ये ग्वाले, तू आकर मुरली बजा रे, मधुबन में रास रचा रे, ये गोकुल और ग्वालें, तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा।
तेरा रस्ता निहारे, मेरे प्यारे सांवरा,
तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा,
मुरली बजाने वाला तू,सबको नचाने वाला तू,
दुनिया बनाने वाला तू,दुनिया चलाने वाला तू,
दुनिया को इंतजार है, तुझसे बड़ा ही प्यार है,
तेरी झलक जो देख ले, बेड़ा सभी का पार है,
नटखट आरे,झटपट आरे, अब देर ना लगा, तेरी मरली बजा।तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा, तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा।
सबको हंसाने वाला तू, सबको लुभाने वाला तू, गिरते हुए को थामकर, ऊपर उठाने वाला तू, काला सा तेरा रंग है, प्यारा सा तेरा ढंग है, सबके मन को भा गया, हर दिल में तू समा गया, नटखट आरे, झटपट आरे, अब देर ना लगा, तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा, तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा।
कैसे जियेंगे सांवरा, बिन तेरे संसार में, नैया खड़ी है सांवरा, बिच भंवर मजधार में, मुरली बजाकर आ भी जा, और हमको तू ही बचा, नटखट आरे, झटपट आरे, अब देर ना लगा, तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा, तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा।
ये गोकुल और ये ग्वाले, नन्दलाला तुझे पुकारे, तू आकर मुरली बजा रे, मधुबन में रास रचा रे, ये गोकुल और ग्वालें, तेरा रस्ता निहारे, मेरे प्यारे सांवरा, तेरी मुरली बजा, तू हम सब को नचा,