तर्ज : सावली सूरत पे मोहन
साँवरे मेरी जीवन नैया, कैसे होगी पार रे, कैसे होगी पार रे -२ सांवरे मेरी जीवन नैया कैसे होगी पार रे।
भक्ति का भी ज्ञान नहीं और पूजा का भी ध्यान नहीं माया से लिपटे हुवे है, कैसे होगी पार रे कैसे होगी पार रे – २ सांवरे मेरी जीवन नैया कैसे होगी पार रे।
धर्म का भी मान नहीं और लब पे तेरा नाम नहीं पाप की गठरी है सर पे, कैसे होगी पार रे कैसे होगी पार रे – २ सांवरे मेरी जीवन नैया कैसे होगी पार रे।
अपनों का भी साथ नहीं और मुझ में कोई बात नहीं “ओंकार” तेरे दर पे आया, तू ही करदे पार रे तू ही करदे पार रे -२ सांवरे मेरी जीवन नैया तू ही करदे पार रे।
साँवरे मेरी जीवन नैया, कैसे होगी पार रे कैसे होगी पार रे -२ सांवरे मेरी जीवन नैया कैसे होगी पार रे।