तेरे कई जन्म बन जाये, जो हरि से प्यार हो जाये, तो करुणाकर से कोई दिन, तेरा दीदार हो जाये ।।
भटकता रहता है प्राणी, जन्म मृत्यु के बंधन में, जगत के मोह माया में, बही रिश्तों के बंधन में, ये उलझन सारी मिट जाये, जो प्रभु पतवार हो जाये ।।तेरे कई जन्म बन जाये, जो हरि से प्यार हो जाये, तो करुणाकर से कोई दिन, तेरा दीदार हो जाये ।।
ये तेरा है ये मेरा है कि रट, जब तक लगाएगा, तो भवसागर से तू प्राणी, यूं ही गोता लगाएगा, ये झंझट सारी मिट जाए, अगर वो यार हो जाये ।।तेरे कई जन्म बन जाये, जो हरि से प्यार हो जाये, तो करुणाकर से कोई दिन, तेरा दीदार हो जाये ।।
ये झूठा माया का चक्कर, तुझे तरने नही देगा, तुझे ‘राजेन्द्र’ जीवन में, उबरने ये नही देगा, हरि भक्ति है युक्ति, गर तुझे स्वीकार हो जाये ।।तेरे कई जन्म बन जाये, जो हरि से प्यार हो जाये, तो करुणाकर से कोई दिन, तेरा दीदार हो जाये ।।