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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Kalo ke kaal mahakal ko manayenge,कालों के काल महाकाल, को मनाएंगे,shiv bhajan

कालों के काल महाकाल, को मनाएंगे

कालों के काल महाकाल, को मनाएंगे, उज्जैन नगरी में, शीश झुकाएंगे।



भांग धतूरा का, भोग लगाते है, बिल्वपत्ती जिनके, सिर पर चढ़ाते हैं, दूध दही से, स्नान कर आएंगे, कालो के काल महाकाल, को मनाएंगे।उज्जैन नगरी में, शीश झुकाएंगे।



शीश पर चंदा जिनकी, जटा में गंगा, गले में नाग जिनके, देखो भुजंगा, दर्शन करने को, उज्जैन नगरी जाएंगे, कालो के काल महाकाल, को मनाएंगे।उज्जैन नगरी में, शीश झुकाएंगे।



जटा में गंगा, गले में नाग जिनके, देखो भुजंगा, दर्शन करने को, उज्जैन नगरी जाएंगे, कालो के काल महाकाल, को मनाएंगे।महाकाल, को मनाएंगे।उज्जैन नगरी में, शीश झुकाएंगे।



भस्म में लगाए भोला, डमरू बजाए, डमरू बजाए भोला, डमरू बजाए, डमरू की ताल पर, वो सबको नचाएंगे, कालो के काल महाकाल, को मनाएंगे।महाकाल, को मनाएंगे।उज्जैन नगरी में, शीश झुकाएंगे।

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