तर्ज- लेके गौरा जी को साथ
सुनके भक्तो की पुकार, होके नंदी पे सवार, काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू, सुनके भक्तो की पुकार।
डमरू बजाए, कैसा निराला भोले,
भस्मी रमाए देखो, रूप सजाए, गले में है सर्पो का हार, होके नंदी पे सवार, काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू, सुनके भक्तो की पुकार।
मृगछाला पहने है, जटाओं में गंगा, चमचम चमकता है, माथे पे चंदा, गौरी मैया के श्रृंगार, होके नंदी पे सवार, काशी नगरीं से, आए है शिव शम्भू, सुनके भक्तो की पुकार।
देवों के देव इनकी, महिमा महान है, भोले भक्तो के ये तो, भोले भगवान है, करने भक्तो का उद्धार, होके नंदी पे सवार, काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू, सुनके भक्तो की पुकार।
सुनके भक्तो की पुकार, होके नंदी पे सवार, काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू, सुनके भक्तो की पुकार।