तर्ज – अब ना छुपाऊंगा
माखन मटकी, छीके पे लटकी, करके ना जोरा जोर, काले ने झटकी, गोकुल में मच गया शोर, माखन चोर कन्हैया, गोकुल में मच गया शोर, माखन चोर कन्हेया।
कदे खिजावे नक़ल करके, कदे बहकावे छल करके, समझावे ते माने ना, भला बुरा पहचाने ना, सोहनी सूरत मोहनी मूरत, माखन की हो जब जब जरुरत, रूप बदल ले और, माखन चोर कन्हेया, गोकुल में मच गया शोर, माखन चोर कन्हेया।
मैया यशोदा लाल तेरा, बुरा करे से हाल मेरा, अरे छोटा है पर चातर से, मटकी फोड़े पाथर से, थोड़ा सा खावे से, घना खिंढावै से, हाथ को आता कोन्या, बड़ा सतावे से, चले ना उस पर जोर, माखन चोर कन्हेया, गोकुल में मच गया शोर, माखन चोर कन्हेया।
तेरा लाल उमर का याणा से, पर बहुत अकल का श्याणा से, वो तो आवे से चुपके चुपके, माखन ले ज्या छुप छुप के, म्हारा कान्हा नादान से, गोकुल की शान से, उस पर वरि वारि, म्हारी या जान से, है वो बड़ा चितचोर,माखन चोर कन्हेया, गोकुल में मच गया शोर, माखन चोर कन्हेया।
माखन मटकी, छीके पे लटकी, करके ना जोरा जोर, काले ने झटकी, गोकुल में मच गया शोर, माखन चोर कन्हैया, गोकुल में मच गया शोर, माखन चोर कन्हेया।