तर्ज, इश्क का मंजन
जल जल कलेजे में छाले पड़े,
ऐसे भोले बाबा से पानी पडे।
ना भोले बाबा के महल अटारी,
पर्वत के ऊपर झोपड़िया पड़े, ऐसे भोले बाबा से पानी पड़।जल जल कलेजे में छाले पड़े,
ऐसे भोले बाबा से पानी पडे।
ना घर में आधा ना घर में चावल,
दो चार भागों के गोले पड़े, ऐसे भोले बाबा से पाले पड़े।जल जल कलेजे में छाले पड़े,
ऐसे भोले बाबा से पानी पडे।
ना घर में आलू ना घर में बैंगन,
दो चार घर में टमाटर पड़े,ऐसे भोले बाबा से पानी पड़े।जल जल कलेजे में छाले पड़े,
ऐसे भोले बाबा से पानी पडे।
ना घर में खटिया ना घर खटोला,
दो चार टूटे झटोले पड़े, कैसे भोले बाबा से पाले पड़े।जल जल कलेजे में छाले पड़े,
ऐसे भोले बाबा से पानी पडे।
ना घर में घोड़ा ना घर में गाड़ी,
नंदी पर बैठ भोले घुमन चले, ऐसे भोले बाबा से पाली पड़े।जल जल कलेजे में छाले पड़े,
ऐसे भोले बाबा से पानी पडे।