तर्ज, मेहंदी लगा के रखना
रंगों की ले घटाएं फागन आया। फूली सारी दिशाएं फागन आया। धरती भी गीत गाए फागण आया। फूली रंगीन घटाएं फागन आया।
सुन सुन क्या बोले कोयलिया बैठी डाली। सुन सुन क्या बोले यह मस्त पवन मतवाली। सारे नजारे क्या बोले हैं सुन सुन सुन। फागण की रुत आई, फागण की रुत आई। मस्त चले पुरवाई फागण की रुत आई।
रेला है श्री श्याम का मेला उनके नाम का सारे दीवाने झूमे, झूमे। मस्तानों की टोलियां भलाई रंग झोलियां, चंग की थापो पे घूमे,घूमे। रंगरसिया गिरधारी, लाया भरकर पिचकारी, रंगी बौछारें क्या बोले है सुन सुन सुन।फागण की रुत आई, फागण की रुत आई। मस्त चले पुरवाई फागण की रुत आई।
श्याम ध्वजा ले हाथ में, श्याम दीवाने साथ में, रींगस से खाटू आए, आए। कोई पैदल आ रहा, सिर पर सिगड़ी ला रहा,पेट पलानिया भी आए,आए। लंबी लगी कतारें, बाबा भक्तों को निहारे। गूंजे हर दिशाएं, जय कारे तू सुन सुन सुन। फागण की रुत आई, फागण की रुत आई। मस्त चले पुरवाई फागण की रुत आई।
सुन ले मेरे सांवरे, एक महीना छोटा पड़े, हर महीना फागन कर दे, कर दे। हर दिन दर्शन होते रहे, हाजिरी हर पल लगती रहे, हमको अपने रंग में रंग ले, रंग ले। तू तो श्याम मिजाजी, रखता भक्तों को राजी, गोलू की यह बिनती सांवरिया तूं सुन सुन सुन।फागण की रुत आई, फागण की रुत आई। मस्त चले पुरवाई फागण की रुत आई।
सुन सुन क्या बोले कोयलिया बैठी डाली। सुन सुन क्या बोले यह मस्त पवन मतवाली। सारे नजारे क्या बोले हैं सुन सुन सुन। फागण की रुत आई, फागण की रुत आई। मस्त चले पुरवाई फागण की रुत आई।