तर्ज,चलो जी चलो चलो रामदेवरे
मन की बाता जाने सारी रंगभेद ना पाए। पार लगा दे नैया से की जो भी दर पर आए।
थारी मारी जाने कोनी जो भी आवे तार दे। ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार, ओ बाबा जी, ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार,
दर पर आकर शीश झुका, श्याम धनी ने मन से रिझा।दर पर आकर शीश झुका,हो ओ
थारी मर्जी होए बिना एक पत्तों भी ना हाले है। म्हारी जीवन गाड़ी सांवरा थारी भरोसे चाले हैं। थे ही करता थे ही धरता म्हारे परिवार में।ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार, ओ बाबा जी, ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार,
थारी मारी जाने कोनी जो भी आवे तार दे। ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार, ओ बाबा जी, ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार,
दर पर आकर शीश झुका, श्याम धनी ने मन से रिझा।दर पर आकर शीश झुका,हो ओ
बहुत बड़ा परिवार बनयों है बाबा थारे नाम से।। श्याम प्रेमी लगा कुहाने जुड़ गया जब परिवार से। ऐसो कुनबो बनयो ना कोई सारे संसार में। ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार, ओ बाबा जी, ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार,
दर पर आकर शीश झुका श्याम धनी ने मन से रिझा।दर पर आकर शीश झुका,हो ओ
हिवडे मारे हुक उठे हैं थासू मिलवा आवन की। प्रेमी की अर्जी अब सुन ले आख्या बरसे सावन सिं। हर ग्यारस में देखूं सूरत थारे खाटू धाम की। ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार, ओ बाबा जी, ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार,
दर पर आकर शीश झुका श्याम धनी ने मन से रिझा।दर पर आकर शीश झुका,हो ओ
थारी मारी जाने कोनी जो भी आवे तार दे। ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार, ओ बाबा जी, ऐसा मारे सांवरिया रो प्यार,