सुरंगो सावन है, खिल्योड़ो उपवन है, झूलो घलायो सरकार, थे झूलो मस्ती में सांवरा, सुरंगो सावन हैं, खिल्योड़ो उपवन है, झूलो घलायो सरकार।
तर्ज – हम तुम चोरी से
ठंडी सी पुरवईया, रिमझिम पानी की बूंदें, मस्त मगन हो नाचे, सब सखियाँ आंख्या मूंदे, देखो ना चहुँ ओर है, बगिया हरा भरा, सुरंगो सावन हैं, खिल्योड़ो उपवन है, झूलो घलायो सरकार।
मोर पपीहा कोयल, बोले है मीठी वाणी, तू भी जरा सुना दे, मुरली की तान सुहानी, मैं भी तो झूम लूँ, बनकर के बावरा, सुरंगो सावन हैं, खिल्योड़ो उपवन है, झूलो घलायो सरकार।
जितना मन में आवे, उतना झूलो गिरधारी, ‘शिवम’ की सेवा ने, ना भूलोगा बनवारी, जाओगा छोड़ के, कईया थे सांवरा, सुरंगो सावन हैं, खिल्योड़ो उपवन है, झूलो घलायो सरकार।
सुरंगो सावन है, खिल्योड़ो उपवन है, झूलो घलायो सरकार, थे झूलो मस्ती में सांवरा, सुरंगो सावन हैं, खिल्योड़ो उपवन है, झूलो घलायो सरकार।