तर्ज- कोई परदेसी आया परदेस में
औघड़ दानी रहा अलख जगा, मैया तुम्हारे दर पे खड़ा, औघड दानी रहा अलख जगा, औघड दानी रहा अलख जगा।
अंग भभूति तन मृग छाला, सर्पों के गहने रे गले मुंडमाला, देख डर जाएगा रे मेरा लाडला, देख डर जाएगा रे मेरा लाडला।
कण कण में मैया वास है जिनका, जन जन को अहसास है जिनका, कालो का काल है जो सबसे बड़ा, औघड दानी रहा अलख जगा, औघड दानी रहा अलख जगा।
हिरे लेजा मोती लेजा भरभर थाल तू, मांग ले जो चाहे जोगी मैं तत्काल दूँ, लेके घर जा रे तू क्यों जिद पे अड़ा, लेके घर जा रे तू क्यों जिद पे अड़ा।
दिखा दे झलक मैया अपने सपूत की, दर्शन की भिक्षा डालो झोली अवधूत की, लाल तुम्हारा मेरे चित पे चढ़ा, औघड दानी रहा अलख जगा, औघड दानी रहा अलख जगा।
रोया कन्हैया मैया घबराई, गोद में उठाकर दौड़ी दौड़ी आई, नज़र ना लगाना तेरा होगा भला, नज़र ना लगाना तेरा होगा भला।
दर्शन करके शिव त्रिपुरारी, नाचे रे भोला मेरा देख बिहारी, मौका है चोखा ‘लख्खा’ झूमझूम गा, मौका है चोखा ‘लख्खा’ झूमझूम गा।
औघड़ दानी रहा अलख जगा, मैया तुम्हारे दर पे खड़ा, औघड दानी रहा अलख जगा, औघड दानी रहा अलख जगा।