बजाय रहे डमरू भोले दानी।बजाय रहे डमरू भोले दानी।बजाय रहे डमरू भोले दानी।
हाथ मे जिनके त्रिशूल विराजे, जटा में गंगा महारानी।बजाय रहे डमरू भोले दानी।
खाये धतूरा और भंगिया के गोला
नाचे मगन होकर मस्ती में भोला।
तीनो लोक में कोई नही है शिव शंकर सा दानी।बजाय रहे डमरू भोले दानी।
शिव जी के तन पर सोहे मृग छाला,
गले मे सोहे है साँपो की माला
भस्म लगा कर भूत बने शिव देख हँसे माँ गौरी।बजाय रहे डमरू भोले दानी।
डमरू की डम-डम मन सब का मोहे,
शिव जी के संग में नंदी भी खोये
भोले जी का भेष देखकर है देवो में हैरानी।बजाय रहे डमरू भोले दानी।