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krishna bhajan lyrics कृष्ण भजन लिरिक्स

Sawan ki ghata ghanghor ki rimjhim barse charo aur,सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,krishna bhajan

सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,

सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,
झूला झूले जनक दुलारी झूला रहे अवध बिहारी।



श्यामल श्यामल राम हमारे,
गौर वरन है सिया हमारी,
जैसे चंदा और चकोर की रिमझिम,
सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,
झूला झूले जनक दुलारी झूला रहे अवध बिहारी।



राम का भीगे पीला पीताम्बर,
सीता की भीगे रेशम साड़ी,
सखी मन में उठे हिलोर की रिमझिम,
सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,
झूला झूले जनक दुलारी झूला रहे अवध बिहारी।



दादूर मोर पपीहा बोले,
पीहू पीहू की बोली बोले,
सब मिलके मचावे शोर की रिमझिम,
सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,
झूला झूले जनक दुलारी झूला रहे अवध बिहारी।



सावन का आया मस्त महीना,
हरियाली से भरा हर कोना,
सबके गावे मिलके मल्हार की रिमझिम,
सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,
झूला झूले जनक दुलारी झूला रहे अवध बिहारी।

सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों ओर,
झूला झूले जनक दुलारी झूला रहे अवध बिहारी।

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