अवध बिहारी हो, हम आए शरण तिहारी, गिरवर धारी हो, हम आए शरण तिहारी ।।
महापातकी रहा अजामिल, उसे मिला सुरधाम, नारायण आ गए लिया जब, पुत्र का अपने नाम, संकट हारी हो, आया शरण तिहारी, अवध बिहारी हों, हम आए शरण तिहारी ।।
जब जल में गजराज ग्राह में, युद्ध हुआ घनघोर, हार गया गज तो बोला, दौड़ो नंद किशोर, सुदर्शन धारी हो, आया शरण तिहारी,दौड़ो नंद किशोर, सुदर्शन धारी हो, आया शरण तिहारी, अवध बिहारी हों, हम आए शरण तिहारी ।।
हिरणाकुश प्रहलाद को जब, बाँधा खंबे के साथ, तब बोला प्रहलाद कहाँ हो, आओ दीनानाथ, शरण हितकारी हो, आया शरण तिहारी, अवध बिहारी हों, हम आए शरण तिहारी ।।
अवध बिहारी हो, हम आए शरण तिहारी, गिरवर धारी हो, हम आए शरण तिहारी ।।