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श्याम भजन लिरिक्स

Ye mere shyam Inayat kar de apni karuna se mujh garib ki jholi bhar de,ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे,shyam bhajan

ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे,



तर्ज- मेरे महबूब क़यामत

ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे, मैंने दुःख दर्द उठाए है बड़े, अब तो सुख चैन से जी लूँ, मुझे ऐसा वर दे।



तू ही बता मैं जाऊं कहाँ, मेरा तो ये सर,
देख लिया ये सारा जहाँ, मीत ना कोई तुमसा यहाँ, झुका यही पर, नहीं कोई और ठिकाना, अपना ये हाथ तू सर पर धर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे।

ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे, मैंने दुःख दर्द उठाए है बड़े, अब तो सुख चैन से जी लूँ, मुझे ऐसा वर दे।

सब पर करुणा बरसाता तू, सबकी उलझन सुलझाता तू, सुख का गुलशन महकाता तू, तेरा तो परम, बस है ये धरम, दुखियों के दर्द मिटाना, इस दुखी दीन के भी दुःख हर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे।

ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे, मैंने दुःख दर्द उठाए है बड़े, अब तो सुख चैन से जी लूँ, मुझे ऐसा वर दे।

बड़े दुखों का खाया हूँ मैं,दुनिया का ठुकराया हूँ मैं,तेरी शरण अब आया हूँ मैं,
दे नाम का धन, गजेसिंह गगन, छू लेगा ये भजन सुहाना, भक्ति भावों के तू इसे वर दे।अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे।



ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे, अपनी करुणा से, मुझ गरीब की झोली भर दे, मैंने दुःख दर्द उठाए है बड़े, अब तो सुख चैन से जी लूँ, मुझे ऐसा वर दे।

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