तर्ज-श्याम बाबा को सिंगार मन भावे
सारी दुनिया का काम यो बनावे, दोनों हाथां से यो भर भर लुटावे, दुनिया से मैं जाके के माँगा के माँगा, सारी दुनिया को काम यो बनावे।
मैं तो सबने या ही बतावा, खाटू वाले से मांग के खावा, दुनिया चाहे जो भी बोले, कहवा में तो ना शरमावा, म्हारो बाबो लखदातार, पल में भर देवे भंडार, मैं तो श्याम धणी के, गुण गावा गुण गावा, सारी दुनिया को काम यो बनावे, दोनों हाथां से यो भर भर लुटावे।
मैं तो सेवक हाँ बाबा की, बाबा को हुकुम ही बजावा, मैं तो याकि रजा में राजी, रात दिन याको गुणगान गावा, राखे श्याम भगत ने याद, बाबो सुन लेवे फरियाद, इससे ज्यादा तो अब मैं, के चावा के चावा, सारी दुनिया को काम यो बनावे, दोनों हाथां से यो भर भर लुटावे।
दुनिया के सेठ भी सारे, म्हारे बाबा से माँगने आवे, या की निजरा में सब बराबर बाबा भक्ता को लाड लड़ावे, म्हारो बाबो कदे ना नाटे, दोनों हाथां भर भर बांटे, ‘मोहित’ अनुभव मैं यही,
बतलावा बतलावा, सारी दुनिया को काम यो बनावे, दोनों हाथां से यो भर भर लुटावे।
सारी दुनिया का काम यो बनावे, दोनों हाथां से यो भर भर लुटावे, दुनिया से मैं जाके के माँगा के माँगा, सारी दुनिया को काम यो बनावे।