तर्ज- दीनानाथ मेरी बात छानी कोनी
मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से, मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से।।
खाटू वाले श्याम, तेरे दर पे मैं आया हूँ, मन की सारी बाते, जुबां तक लाया हूँ, भूल मत जाना बाबा, अपने इस भगत को, सारी दुनिया छोड़ी मेने, छोड़ा इस जगत को, मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से, मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से।।
छुपी नहीं तेरे से, मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से ।।
भगत हूँ मैं तेरा श्याम, मुझको निभा लेना, भव सागर में फसी नय्या, पार लगा देना, हारे का सहारा तू, किश्ती का किनारा हैं, जिसने भी पूजा, तूने उसको उबारा है, मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से, मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से ।।
मुरली अधर पे, लब तेरे चूमे है, भक्त खड़े द्वार, तेरी भक्ति में झूमे है, खाली हाथ कैसे बाबा, जाऊ तेरे दर से, आस लेके निकला बाबा, मैं तो अपने घर से, मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से, मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से ।।
खाते हो तुम खीर चूरमा, लीले ऊपर घूमते हो, अपने भक्तो को बाबा, कभी नहीं भूलते हो, भगतो की झोली बाबा, भर दो अपनी भक्ति से, संकट सारे दूर कर दो, बाबा अपनी शक्ति से, मेरे श्याम कोई बात.
खाते हो तुम खीर चूरमा, लीले ऊपर घूमते हो, अपने भक्तो को बाबा, कभी नहीं भूलते हो, भगतो की झोली बाबा, भर दो अपनी भक्ति से, संकट सारे दूर कर दो, बाबा अपनी शक्ति से, मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से, मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से ।।
मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से, मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से ।।