झूला झुलत बिहारी वृंदावन में, कैसी छाई हरियाली इन कुंजन में, झुला झुलत बिहारी वृंदावन में ।।
इत नन्द को बिहारी उत भानु की दुलारी, जोड़ी लागे अति प्यारी बसी नयनन में, झुला झुलत बिहारी वृंदावन में।।
यमुना के कूल बहे सुरंग दुकूल, और खिल रहे फूल इन कदमन में, झुला झुलत बिहारी वृंदावन में।
गौर श्याम रंग घन दामिनी के संग, भई अखियां अपंग छवि भरी मन में, झुला झुलत बिहारी वृंदावन में ।।
राधा मुख ओर नैना श्याम के चकोर, सखियन प्रेम डोर लगी चरणन में, झुला झुलत बिहारी वृंदावन में ।।
झूला झुलत बिहारी वृंदावन में, कैसी छाई हरियाली इन कुंजन में, झुला झुलत बिहारी वृंदावन में।।