तर्ज – सागर किनारे दिल ये पुकारे
आता रहूंगा दर पे तुम्हारे, देना ना देना तेरी मर्जी है प्यारे ॥
नज़रे कन्हैया मोड़ोगे कैसे, बाहें हमारी छोड़ोगे कैसे, दिल में तुम्ही हो तोड़ोगे कैसे, बैठा रहूँगा दामन पसारे, देना ना देना तेरी मर्जी है प्यारे, आता रहूंगा दर पे तुम्हारे, देना ना देना तेरी मर्जी है प्यारे।
रूठोगे तुम तो मनाता रहूँगा, चरणों की सेवा बजाता रहूँगा, भावों के आंसू बहाता रहूँगा, तुम्ही से कहूंगा दुःख दर्द सारे, देना ना देना तेरी मर्जी है प्यारे,आता रहंगा दर पे तुम्हारे,
जब तक है तन में सांसे बिहारी, छूटे ना बाबा चौखट तुम्हारी, जन्मो जनम की तुमसे है यारी, मर के भी मोहन रहेंगे तुम्हारे, देना ना देना तेरी मर्जी है प्यारे, आता रहूंगा दर पे तुम्हारे, देना ना देना तेरी मर्जी है प्यारे।
आता रहूंगा दर पे तुम्हारे, देना ना देना तेरी मर्जी है प्यारे ॥