आज मिल्या मौका, भोले के दर्शन पाने का, नीलकण्ठ पै चाल नही, कोए काम उलहाणे का ।।
हर की पौड़ी जाकै न, हम गंगा जी मै न्हावा रै, बम बम बम बम बोल कै, फेर कांधै कांवड़ ठांवा रै, भोले नाथ जब साथ, काम कुछ ना घबराने का, नीलकण्ठ पै चाल नही, कोए काम उलहाणे का ।।
मस्त महीना सामण का, यो रिमझिम पडै फुहार सुणो, कावड़ियो और भोले नाथ का, मिलता सही विचार सुणो, अपने हाथा घोट घोट के, भांग पीलाणे का, नीलकण्ठ पै चाल नही.
भीमसेन तू चाल बावले, ‘तू’ क्यू ज्यादा घबरावै सै, जिसने भोले नाथ बुलावे, वो ही कावड़ लयावै सै, भोले नाथ तै मौका सै, बोलण बतलाने का, नीलकण्ठ पै चाल नही, कोए काम उलहाणे का।।
आज मिल्या मौका, भोले के दर्शन पाने का, नीलकण्ठ पै चाल नही, कोए काम उलहाणे का ।।