तर्ज – फिरकी वाली।
हो गुरुवर प्यारे, ये भक्त तुम्हारे, आये है तेरे द्वारे, गुरु चरणों की छाँव में, आज आये है ये, मालपुरा गाँव मे, हो खेवनहारे, ओ गुरुजी हमारे, हम तेरे ही सहारे, बैठे है तेरी नावँ में,
आज आये है ये, मालपुरा गाँव मे ।।
मालपुरा की गलियां ओ दादा, स्वर्ग से सुंदर लगती है,
तेरे गाँव मे हवाए भी ओ गुरुवर, बड़े अदब से चलती है, बड़ा ही अदभुत, बसी है इन निगाहों में,
यहां का नजारा, इन नेनो ने निहारा,
ये खूबसूरत, मेरे दादा की मूरत,आज आये है ये, मालपुरा गाँव मे ।।
तेरे द्वार पर, जो भी है आता, उनकी बिगड़ी बनती है, तेरी कृपा से ही मेरे दादा, भक्तो को खुशियां मिलती है, खुश हो जाये, जिसपे गुरुवर,उनकी किस्मत सुपर,बसी है इन निगाहों में,आज आये है ये, मालपुरा गाँव मे ।।
तेरे द्वार पर, जो भी है आता, उनकी बिगड़ी बनती है, तेरी कृपा से ही मेरे दादा, भक्तो को खुशियां मिलती है, खुश हो जाये, ‘दिलबर’ भजन बनाये अंजू गाये, गुरु भक्ति के भाव में,
जिसपे गुरुवर, उनकी किस्मत सुपर,आज आये है ये,मालपुरा गाँव मे ।।