तर्ज- क्या मिलिए ऐसे लोगों से
रंग बिरंगी ध्वजा हाथ में, लाखों लेकर भक्त चले, तेरी कृपा और तेरे भरोसे, तेरे भगत का काम चले, तेरी कृपा और तेरे भरोसे, तेरे भगत का काम चले।
फागण महिना जब जब आए,मेरा मन है हर्षाता,
कृपा करो हे श्याम धणी, तेरा दर्शन मैं पाता, तेरे चरणों की छैया में, ये सारा संसार पले, तेरी कृपा और तेरे भरोसे, तेरे भगत का काम चले।
सबके संग में मैं भी लाऊँ, ध्वजा यात्रा श्याम की, हाजरी लगा लो मिलकर, खाटू पावन धाम की, मंदिर में निशान चढ़ाकर, हम सालासर धाम चले, तेरी कृपा और तेरे भरोसे, तेरे भगत का काम चले।
बालाजी का दर्शन करके, दादी दर्शन पाना है, श्याम धणी को केसर इत्तर, खूब गुलाल लगाना है, ‘पवन’ कहे खाटू वृन्दावन, सांवरिये से नैन मिले, तेरी कृपा और तेरे भरोसे, तेरे भगत का काम चले।
रंग बिरंगी ध्वजा हाथ में, लाखों लेकर भक्त चले, तेरी कृपा और तेरे भरोसे, तेरे भगत का काम चले, तेरी कृपा और तेरे भरोसे, तेरे भगत का काम चले।