राम कयो नी जाय मुख से, हरि कयो नी जाय, नुगरो सूतो रे आलस में, मुख से राम कह्यो नी जाय, मुख से हरि कयो नी जाय।।
पैहली पोर मनें सपनो आयो, कुआं में लागी लाय, हरी हर कुआं में लागी लाय, पैहली पोर मनें सपनो आयो, कुआं में लागी लाय, कादा कीसड़ जल गया रे, कादा कीसड़ जल गया, मछीयों ओंटा खाय, मछियों ओटा खाय, नुगरो सूतो रे आलस में, मुख से राम कह्यो नी जाय, मुख से हरि कयो नी जाय।।
सोंथी पोंर मनें सपनो आयो, कीड़ी सासरै जाय, हरी हर कीड़ी सासरै जाय, हाथी घोड़ा लिया बगल में, घोड़ा लिया बगल में, ऊंट लपेटा खाय, ऊंट लपेटा खाय, नुगरो सूतो रे आलस में, मुख से राम कह्यो नी जाय, मुख से हरि कयो नी जाय ।।
कैहत कबीर सुनो भाई साधो, निर पंथ है निरवोंणा, हरी हर निर पंथ है निरवोंणा, उण पंथ री कोई खोज करै है, उण पंथ री कोई खोज करै है, वो नर सतुर सुजाण, वो नर सतुर सुजाण, नुगरो सूतो रे आलस में, मुख से राम कह्यो नी जाय, मुख से हरि कयो नी जाय ।।
दुजी पोर मनें सपनो आयो, मुरदो रोटी खाय, हरी हर मुरदो रोटी खाय, बोलायो बोलै नहीं, बोलायो बोलै नहीं ओं, डगमग हंसतो जाय, नुगरो सूतो रे आलस में, मुख से राम कह्यो नी जाय, मुख से हरि कयो नी जाय।।
तीजी पोर मनें सपनो आयो, सिंघ चरे है घास, हरी हर सिंघ चरै है घास, मिनी बाई तो करै विलोणा, मिनी बाई तो करै विलोणा, ऊंदरा माखण खाय, ऊंदरा माखण खाय, नुगरो सूतो रे आलस में, मुख से राम कह्यो नी जाय, मुख से हरि कयो नी जाय।।
राम कयो नी जाय मुख से, हरि कयो नी जाय, नुगरो सूतो रे आलस में, मुख से राम कह्यो नी जाय, मुख से हरि कयो नी जाय।।